तुम भी यह कर सकते हो
तुम भी यह कर सकते हो
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पहाड़ तोड़ रास्ता बना सकते हो,
मरुस्थल में पेड़ उगा सकते हो।
नामुकिन को मुकिन बनाना,
तुम भी यह कर सकते हो।
धरती हिला सकते हो ,
आसमान झुका सकते हैं।
हौसला अडिग रखना,
तुम भी यह कर सकते हो।
पढ़ाई कर सकते हो ,
लिखाई कर सकते हो।
मन में लगन रखना,
तुम भी यह कर सकते हो।
कविता लिख सकते हो,
कहानी लिख सकते हो।
शब्द भंडार रखना,
तुम भी यह कर सकते हो।
खिलाड़ी बन सकते हो,
चैंपियन बन सकते हो।
शरीर को स्फूर्ति रखना,
तुम भी यह कर सकते हो।
कवि बन सकते हो ,
लेखक बन सकते हो।
मन में विचार लाना,
तुम भी यह कर सकते हो।
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कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना, बिलाईगढ़, बलौदाबाजार (छ. ग.)
मो. 8120587822