तुम बिन हम नही
“तुम बिन हम नही*
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तुम बिन हम नहीं
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जिंदगी रहगुजर में
अब कोई गम नही|
यादों के जंजाल में
आंखें हैं नम नहीं|
तू ही तो मेरा जहां,
है जहां से कम नहीं|
फूल भी खिले हुए,
झड़ी में दम नहीं|
मनसीरत रोशन है,
जीवन में तम नहीं|
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)