तुम बिन लगता नही मेरा मन है
तुम बिन लगता खालीपन है |
लगता नहीं कही मेरा मन है ||
तुम बिन अब कहाँ जाऊ मै ?
उजड़ गया मेरा उपवन है ||
दिल भी नहीं कहीं लगता मेरा |
दिल में मेरे एक खालीपन है ||
बुढ़ापा आया,जवानी गयी है |
छूट गया मेरा अब बचपन है ||
चैन कही भी नहीं मिलता है |
बताओ तुम,ये कैसी तडपन हैं ।।
तुम बिन कही पागल न हो जाऊ |
ये मेरा कैसा अजीब पागलपन है ||
आर के रस्तोगी गुरुग्राम