तुम बिन पिया
ना फिकर कोई ना ख़बर कोई,
गुजरती जा रही थी बस यूं हीं जिंदगी।
बस खिलखिलाना और चहचहाना,
कुछ यूं हीं संवर रही थी जिंदगी।
मिल गये अचानक तुम किसी मोड़ पर,
देखा तुम्हें नज़र भर थम सी गई जिंदगी।
बदले मौसम बदल गये से थे हालात,
बदले बदले लग रहे थे मेरे दिल के जज़्बात।
बिन हाथों के हाथ बिना साथ के साथ,
उड़ चले थे नीलगगन में इन्द्रधनुषी बने जज़्बात।
अचानक यूं हीं छोड़ गए बीच राहों में मुंह मोड़ गये,
आऊंगा राहें तकना कहना ना ज़रुरी मान गए।
बिन हरियाली सावन गुज़रे बिन पानी के बादल बरसे,
बस दो पल को देखूं सोच सोच ये नैना तरसे।
ना कोई खुशी ना कोई उमंग बेबस सा बेचैन मन,
एक आस सी थी आओगे दे जाओगे जीवन के रंग।
जाने कितने रात गुजारी तारें गिनें और करवट बदली,
जाने कितने सावन गुज़रे तन्हाई में बुंद बुंद आंखों से बरसे।
तरसे नैना राह निहारे कहां हो साजन दिल ये पुकारे,
आ जाओ ना जल्दी तुम बिन जीया ना लगे हमारे।
फिर आये तुम एक दिन फिर से था मौसम सुहाना,
मन मयूर खिल उठा झुमा नाचा दिल दिवाना।
फिर से वापस आया था इन्द्रधनुषी मौसम,
फिर से बावला हुआ था मेरा सतरंगी मन।
पुछा पिया कहां थे तुम बरसों तलक जो सुध ना ली,
छोड़ गए बीच राह में क्या कोई और थी मिली।
कहा हंसके मुझसे भोले पिया ने सुन बावरी,पगली,दिवानी,
ताजमहल मैं बना रहा था तेरे लिए पगली दिवानी।
सुन पिया की प्यारी बातें नैन नीर मेरे भर आये,
क्या करूं मैं गहने जेवर का, क्या करूं मैं ताजमहल का।
तुम बिन जो सुनी रातें गुजरी क्या करूं उन रातों का,
तुम बिन जो बिन बरसे गुजरे क्या करूं उन बादल का।
ना देतें तुम गहने जेवर ना देतें तुम ताजमहल,
तुम थे तो सब था तुम हीं तो थे मेरे ख्वाबों का महल।