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13 Oct 2022 · 1 min read

“तुम प्रेम का हो वरदान प्रिये”

मेरे आकुल जीवन में, तुम प्रेम का हो वरदान प्रिये ।
अभिभूत हुआ पाकर तुमको, मिल गई सुखद पहचान प्रिये ।।

तुम युग देवी की शोभा हो, मैं भी हूं एकेश्वरवादी
मरीचिका तुम मरूथल की, मैं शैल सदृश हूं अवसादी
यही कल्पना है कल्पों तक, हो प्रेम युगल यशगान प्रिये ।
अभिभूत हुआ पाकर तुमको……!!

मैं पूनम का चांद प्रिये, तुम श्वेत धवल चांदनी रात
तुम दिव्य दीप की ज्योति हो, मैं शांत चित्त बहता प्रवात
मैं सुशील अर्णव सा हूं, तुम कल कल नदिया का गान प्रिये ।
अभिभूत हुआ पाकर तुमको……!!

भावों से आ भाव मिले, मन से मन का मनमीत हुआ
तुम सधी सजी सरगम सितार पर, मैं सुरमय संगीत हुआ
आमंत्रण है मूक दृगों का, कर प्रेम सुधा रस पान प्रिये ।
अभिभूत हुआ पाकर तुमको……..
. मिल गई सुखद पहचान प्रिये ….!!
✍️ – हरवंश श्रीवास्तव “हृदय”
(This poetry dedicated to my Love 💖…)

7 Likes · 9 Comments · 619 Views
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