तुम प्रीत मेरी बिल्कुल ऐसी !
तुम प्रीत मेरी बिल्कुल ऐसी !
तुम मेरे सच्चे गीतों सी
तुम मेरे पक्के मीतों सी
राधा की मधुर मूरत जैसी
तुम प्रीत मेरी बिल्कुल ऐसी!
पवन वेदों की ऋचाओं सी
तुम चंद्र की चंद्र कलाओं सी
जीवन की मृदु आशाओं सी
तुम प्रेम सिंधु के जल जैसी
तुम प्रीत मेरी बिल्कुल ऐसी
ईश्वर के चरण राज बंदन सी
तुम सुरभित मोहक चन्दन सी
चंचल कौशिल्या नंदन सी
सुरसरि में संध्या दीप जैसी
तुम प्रीत मेरी बिल्कुल ऐसी !