तुम न आये मगर..
तुम न आये मगर, राह तकती रही।
दर्द बढ़ता गया , आह भरती रही।
बाद इसके कहीं, मैं रहूँ ही नहीं,
इश्क़ की बेबसी, चाह बढ़ती रही।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
तुम न आये मगर, राह तकती रही।
दर्द बढ़ता गया , आह भरती रही।
बाद इसके कहीं, मैं रहूँ ही नहीं,
इश्क़ की बेबसी, चाह बढ़ती रही।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली