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29 Jul 2022 · 1 min read

तुम न आये मगर..

तुम न आये मगर, राह तकती रही।
दर्द बढ़ता गया , आह भरती रही।
बाद इसके कहीं, मैं रहूँ ही नहीं,
इश्क़ की बेबसी, चाह बढ़ती रही।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

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