तुम नहीं ना सही
तुम नही ना सही
मगर इन यादों को क्यों रखा हैं
इन्हें भी ले जाओ
जब कहते थे तुम
की जाना हैं मुझसे दूर तुम्हे
फिर ख्यालों में भी मत आओ
तुम तो चले गए
दिले जख्म देकर हमे
अब घावों पर नमक ना छिड़काओ
दिन गुजरते हैं रात ढल जाती है
मगर तुम वही की वहीं हो
कभी तो सूरज की भांति ढल जाओ
कहां हूं मैं खुद नहीं जानता
जी रहा हूं या हूं मरा नहीं पहचानता
अब तो मेरे दिल और दिमाग से निकल जाओ
चले जाओ इतने दूर की कोई खबर ना तेरी मुझको रहे
कोई ना मेरी दुनिया में एक बस तेरा नाम कहे
कभी ना मुड़कर मेरे रूबरू आओ ।
तुम नही ना सही
मगर इन यादों को क्यों रखा हैं
इन्हें भी ले जाओ