तुम देव हो !
जब अश्रुपूरित नेत्र हों,
और हृदयात्मग्लानित हो,
समझ लेना,तुम देव हो!!
तुम देव हो!!
जब अनभिग्यापराध हेतु,
अपराध बोध स्वयं हो,
समझ लेना तुम देव हो!!
तुम देव हो!!
बेध कर जब परहृदय को,
वेदना स्वनिहित हो,
समझ लेना तुम देव हो!!
तुम देव हो!!
कर किसी से अभद्रता,
जब स्वहृदय में पीर हो,
समझ लेना तुम देव हो!!
तुम देव हो!!
कटु वचन से मर्माहत हो,
क्रोध तज नैन भरे नीर हो,
समझ लेना तुम देव हो!!
तुम देव हो!!
कुमार्ग के बजाय संन्मार्ग पर चलो,
उचितानुचित भेद हृदय मे निहित हो,
समझ लेना तुम देव हो!!
तुम देव हो!!
गणेश नाथ तिवारी”विनायक”
9523825251