तुम दिखते चांद सितारों में
तुम दिखते चांद सितारों में
मेरी प्रीत ,मेरे मीत,
ओ मेरे अंतर्मन के गीत।
मेरी आवाज, मेरे साज,
तुम सुहागिन सर के ताज।
तुम नैनो के नूर हो,
मैं देखूं मन की बहारों में।
सदा लेकर बाहों में मुझे,
तुम दिखते चांद सितारों में।
तुम बिन सब जग सूना है,
सौंदर्य प्रकृति का रूखा है।
नवरत्नों की अभिलाषा नहीं,
बस प्रेम सुहाग का भूखा है।
धूमिल दिखे जग की दुनिया,
अंधियारा है बहारों में।
नयन पुतली में तुम बसे,
मैं देखूं चांद सितारों में।
नहीं मांगती गाड़ी महल,
न धन के उजियारों में।
मेरी पिया की झोपड़ी,
मुझे लगती सदा बहारों में।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश