तुम तो हो नादां मोहब्बत क्या करोगी ।
बहुत ही तुम तो हो नादां,
मोहब्बत क्या करोगी।
नहीं छूटा है अल्हड़पन,
वो वालापन वो चंचलपन
शरारत ही करोगी,
बहुत ही तुम तो हो नादां
मोहब्बत क्या करोगी।
कसक दिल की न समझोगी,
न पूछोगी न बोलोगी,
अदाओं से सताओगी,
दिवाना ही करोगी
बहुत ही तुम तो हो नादां
मोहब्बत क्या करोगी।
नहीं समझोगी मौसम को,
बहारों को नजारों को
मेरे सारे इशारों को
सुनयने दूर से ही रूप से
जादू करोगी,
बहुत ही तुम तो हो नादां
मोहब्बत क्या करोगी।
न आओगी न जाओगी
समझकर भी सताओगी
रुलाओगी,
कहो कब तक हमारी जां
यूँ हमसे दूर जाओगी
अब तो मान भी जाओ
सयानी हो रहोगी,
बहुत ही तुम तो हो नादां
मोहब्बत क्या करोगी।