तुम तो हो आंखों के तारे
तुम तो हो आँखों के तारे।
चमचम चमचम मन की आंखें
चमचम हैं मन के गलियारे।
हँसते गाते मुस्काते जब
तुम्हें निहारें नयन हमारे।
क्योंकि तुम आँखों के तारे।
ऐसे सजना और संवरना
सबका पथ आलोकित करना।
स्वयं सृजित अपनी आभा से
दुनियाँ भर को विस्मित करना।
कुम्हलाये मानस-पादप को
निज संगति से कुसुमित करना।
परहित और राष्ट्रहित में भी
थोड़ी ऊर्जा अर्पित करना।
स्वार्थ नहीं परमार्थ सीखना
जीवन का चरितार्थ सीखना
सब संशय सब भ्रम तोड़ेंगे
असफलता का दम तोड़ेंगे
अज्ञानता का तम तोड़ेंगे
उन पर प्रखर प्रहार तुम्हारे।
बोल उठेंगी सबकी आँखें
तुम सचमुच आंखों के तारे।
संजय नारायण