तुम तो वही हो न,उन्नाव रेप केस वाली ?
तुम तो वही हो न,उन्नाव रेप केस वाली ?
तुम तो मर चुकी थी न ?
एक साल पहले…
जब तुम्हारे जिन्दा जिस्म को नोचा गया था
इंसान जैसे ही किसी जानवर के हांथों
तुम तो जल चुकी थी न ?
जब मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्म दाह को गई थी ?
तभी तो जान पाए थे हम तुम्हे
तभी तो हम सब ने देखा था
तुम्हारे अंदर के रिस्ते घाव को
तुम्हारे टूटते मनोबल के बहाव को
तभी तो तुम्हरे पिता के
फटे हुए आँतों ने सांसे छीन ली थी उनकी
जिसे फाड़ा गया था, डंडे और जूते के जोर से
सत्ता के मद में चूर बहसियों द्वारा
वो उतना ही छटपटाये होंगे, जितनी कि तुम
जब तुम्हें निर्वस्त्र कर फाड़ा गया होगा
फिर तुम मरी क्यूँ नहीं ?
क्यूँ रही तुम जिन्दा ?
किस से न्याय मांगना था तुम्हें ?
क्या उन से, जो बेटी बचाव का नारा तो लगाते हैं
उस नारे से निर्भया के लाश पे चढ़ सत्ता धीस भी हो जाते हैं
पर बेटियों को बचाना उनका काम नहीं
उन्होंने भेड़ियों की रक्षा में कसम उठाई है
उन्हें भेड़ियों को बचाना है
तुम्हें और तुम जैसी बेटियों को नहीं
तुम दम तोड़ देना लखनऊ ट्रामा सेंटर में ही
और जाकर बैठ जान निर्भया,काजल और आशिफ़ा के साथ
इंतजार करना अपने जैसी और बेटियों का
समाज और सरकार
इस क़ाफिले को छोटा नहीं देखना चाहती
निरंतर इजाफ़ा होगा, बस इंतजार करना…
…सिद्धार्थ