!!** तुम तलवार दुधारी कर लो **!!
तुम तलवार दुधारी कर लो
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अगर लक्ष्य है तुम्हें साधना तो अचूक तैयारी कर लो,
छोड़ दो सारी दुनियादारी सिर्फ लक्ष्य से यारी कर लो।
दुश्मन तो दुश्मन होता है दुश्मन को मत गले लगाओ,
वार कोई भी व्यर्थ ना जाये तुम तलवार दुधारी कर लो।
आज के इस जालिम दुनिया में केवल नकली फूल मिलेंगे,
कुछ ख़ुश्बू के फूल उगाकर अपना घर फुलवारी कर लो।
अपने और पराये में जब भेद समझना मुश्किल हो,
पट्टी बाँध लो आँखों पर औ खुद को तुम गाँधारी कर लो।
जब चाहे मज़मा लगवा लो नज़रबंद कर लो दुनिया को,
“दीपक” हमें जमूरा देकर अपने नाम मदारी कर लो।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव