तुम जहा भी हो,तुरंत चले आओ
तुम जहा भी हो,तुरंत चले आओ।
मचल रहा है दिल इसे समझाओ।
कर रही हूं मै प्रतीक्षा बड़ी देर से।
आ जाओ अब,मुझे न तड़पाओ।
लगी है आग,सारे बदन में अब मेरे।
शोले भड़क रहे और न भड़काओ।।
चुपके चुपके आ जाना अपने घर में।
सताई जा चुकी हूं मै और न सताओ।।
तरस रही है मेरी आंखे देखने को।
बस करो अब इन्हें और न तरसाओ।।
पीकर प्यार का जाम,कुछ बहक गई।
बहक चुकी हूं काफी और न बहकाओ।
रस्तोगी भी बहक गया इसे लिख कर।
बस करो इसके आगे और न लिखवाओ।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम