तुम जब भी आना
तुम जब भी आना
अपने साथ ले आना
समंदर…
जब सूरज डूब रहा होगा
और चांद निकलने को आतुर होगा
हम मिलेंगे समंदर किनारे
किसी हल्के से सुनहरे
थोड़े धुंधलाए से
रेत के घर में ।
ये दुनियां
कभी इतनी बड़ी नहीं हो सकेगी
कि तुम आ न सको ।
और न ही ये हो पाएगी
इतनी छोटी कि
हमें मिलने की जगह न दे सके ।।