तुम गर साथ होती…………
वो तन्हाई के लम्हे,
वो बेखुदी की राते,
यु न गुजरती,
तुम गर साथ होती……….
हम तुमको बहो में रखते,
तुम्हारे प्यार को’
आँखों के फलक से’
दिल की जमी पर बरसते,
तुम गर साथ होती………..
वो शाम अश्को में न नहाती,
तुम्हारी हर ख्वाइश पूरी होती,
मैं आँखों से आँखे मिलाता,
तुम ख़ुशी से पागल हो जाती,
ये सब हकीक़त होता ‘साहिब’
तुम गर साथ होती…………