तुम खुशी हो मेरे लबों की
तुम खुशी हो मेरे लबों की, नाखुश कभी तुम होना नहीं।
मैं रखूँगा खुश हरवक्त तुमको, तुम दूर मुझसे होना नहीं।।
तुम खुशी हो मेरे लबों की——————।।
यह जिंदगी तेरे नाम है, और बंदगी है तुम्हारे लिए।
जो ख्वाब मैंने बुने हैं, वो ख्वाब भी है तुम्हारे लिए।।
मैं सच करूँगा सपनें तुम्हारे, उदास कभी तुम होना नहीं।
तुम खुशी हो मेरे लबों की——————-।।
क्यों यह गुलशन महाकाया मैंने, क्यों सींचता हूँ खूं से इसे।
क्यों यह चिराग जलाया है मैंने, क्यों देखता हूँ हर रोज इसे।
तेरा नसीब मैं रोशन करूँगा, तुम बेवफा मुझसे होना नहीं।
तुम खुशी हो मेरे लबों की——————–।।
यकीन बेशक मुझ पर करो तुम, मैं बेवफा नहीं हूँ यार।
माना है तुमको अपनी जां, इतना है मुझको तुमसे प्यार।।
कभी अश्क तेरे नहीं बहने दूँगा, तुम बेखबर मुझसे होना नहीं।
तुम खुशी हो मेरे लबों की———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)