तुम ख़्वाबों की बात करते हो।
नींद आ जाए वहीं अच्छा है तुम ख्वाबों की बात करते हो।
परेशानियों का आलम हैं तुम भी जज़्बातों को ना समझते हो।।1।।
इस जिदंगी का क्या भरोसा करे ये तो बेवफ़ा ही होती है।
मौत करेगी वफा हमेशा फिर क्यों ना इसको याद करते हो।।2।।
गिरेबां सच बोलता है फिर सच इससे क्यों ना पूछते हो।
आईना हकीकत को दिखाता है जैसे हो वैसे ही दिखते हो।।3।।
हां देर लग सकती है पर वफ़ा के बदले वफ़ा ही मिलती है।
जब इतना ही डर है बेवफाई का तो मोहब्बत क्यों करते हो।।4।।
अंजुमन में आकर यहां के हालात बागवां से क्या पूछते हो।
हर कली हर बूटा जवाब देगा उस पर शक क्यों करते हो।।5।।
बड़ी मेहनत लगती है तब कही एक गुलशन महकता है।
आह निकल जाती है जब तुम यूं ही फूल,कलियों को तोड़ते हो।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ