तुम क्या हो ?
तुम क्या हो ?
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पूरा साल यूं मनाते हैं तुम्हें
मानो तुम , तुम न हो कोई त्यौहार हो !
पूरा साल यूं इंतज़ार करते हैं तुम्हारा
मानो तुम, तुम न हो महीने की पहली तारीख हो !
पूरा साल यूं सोचते हैं तुम्हें
मानो तुम, तुम न हो घर का बजट हो !
पूरा साल यूं याद करते हैं तुम्हें
मानो तुम, तुम न हो पिछले जन्म की याद हो !
पूरा साल यूं कतरा-कतरा सहेजते है तुम्हें
मानो तुम, तुम न हो बैंक बैलेंस हो !
पूरा साल यूं खोजते हैं तुम्हें
मानो तुम, तुम न हो गुम हुई चाबी हो !
पूरा साल यूं छिपाते हैं दुनिया से तुम्हें
मानो तुम, तुम न हो मेरे फोन का पासवर्ड हो !
~Sugyata