तुम क्या आए
तुम क्या आए ज़िंदगी में हम ज़माना भूल गए।
सोचा था की रूठकर जी भर सताएंगे पर तुमको देखा तो सताना भूल गए।
दिल में जो राज़ रखे थे सबसे छुपा कर
तुमसे ना जाने क्यों वो राज़ छुपाना भूल गए।
हाथों पर तेरा नाम लिख कर मिटा दिया करते
पर आज नाम लिख कर मिटाना भूल गए।
लग रहा है की हर तरफ खुशियाँ है
हम तो अपने ग़मो का खज़ाना भूल गए।
तुम हि तुम हो नज़रों में अब
हम आँखों में काजल लगाना भूल गए
तुमसे नज़रें क्या मिली
हम पलकें झुकना भूल गए।
मेरे बालों में महक भी तुमसे है
हम इन में गजरा सजाना भूल गए।
तुम आजाओ तो यही हमारे लिए प्यार की सौगात हो
हम रब से क्या मांगे इसके सिवा
अब सब नज़राना भूल गए।
~ ज्योति “रौशनी”