तुम कौन हो ?
तुम कौन हो ?
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कभी सोचा है ?
कि तुम कौन हो ?
क्या हो ?
क्यों हो ?
नहीं ना………..
हाँ ! सोचोगी भी क्यों ?
हम जो सोचते हैं !!
आपकी खातिर ||
चलिए मैं बताता हूँ !
कि तुम कौन हो ?
चैत्र की चाँदनी ,
वैशाख की रातें !
ज्येष्ठ में तुम छाँव ,
आषाढ़ की बदली !
सावन की हरियाली,
भाद्रपद की फुहार !
आश्विन की पूर्णिमा ,
कार्तिक की दीवाली !
मार्गशीर्ष की बयार ,
पोष की स्वाति !
माघ की एकादशी ,
फाल्गुन की होली ||
ये सभी तो हो तुम !!
यही नहीं………….
बहुत कुछ हो तुम !
चाँद की ज्योत्सना ,
सूरज की रश्मि !
घरती का धीरज ,
आकाश का मान !
सितारों की चमक ,
ग्रह-नक्षत्रों की चाल !
प्रकृत्ति का सृजन ,
ईश्वर का वरदान !
पक्षियों का कलरव ,
जीवों का जीवन !
सागर की लहरें ,
नदी का प्रवाह !
पर्वत की ऊँचाई ,
मैदानों का विस्तार !
झील की गहराई ,
प्रपात का तीव्र वेग !
सब तुम्हीं तो हो !!
इंसान की इंसानियत ,
ब्रह्मा की माया !
साहित्य का प्राण ,
इतिहास का दावा !
समाज की रीति ,
“दीप” की प्रीति !
नैतिकता के सद्गुण ,
कुदरत का ऋत !
वृक्षों की हरियाली,
गाय का देशी धृत |
सभी तो हो तुम !!
यही नहीं………..
पन्ना का बलिदान ,
पद्मिनी का जौहर !
झलकारी का कौशल ,
लक्ष्मीबाई की वीरता !
मूमल का श्रृंगार ,
हाड़ी का वो शीश !
बच्चों की किलकारी ,
बूढ़ों का आशीष !
आँखों का इंतजार ,
और दिलों का प्यार !
हृदय की तुम धड़कन,
वफाओं का एतबार !
साँसों का स्पन्दन ,
और स्नेहिल वंदन !
तुम ही तुम हो चहुँओर ,
हे ! नारी तेरा अभिनन्दन ||
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— डॉ०प्रदीप कुमार “दीप”