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30 Nov 2016 · 1 min read

तुम कोई प्यार भरी ग़ज़ल तो नहीं

न तुमसे कुछ पाना चाहता हूँ

यूँ ही बस आज़माना चाहता हूँ!

तुम कोई प्यार भरी ग़ज़ल तो नहीं

जाने क्यों गुनगुनाना चाहता हूँ!

न तुमसे कुछ पाना चाहता हूँ

यूँ ही बस आज़माना चाहता हूँ!

बिन तेरे कामिल नहीं ज़िन्दगी मेरी

संग तेरे इसका मुकम्मल ठिकाना चाहता हूँ!

न तुमसे कुछ पाना चाहता हूँ

यूँ ही बस आज़माना चाहता हूँ!

भटक रही है तन्हां रूह मेरी

तनहाइयाँ से रिश्ता मिटाना चाहता हूँ!

न तुमसे कुछ पाना चाहता हूँ

यूँ ही बस आज़मान चाहता हूँ!

होंगे हजारों तेरी खुशियों के हमसफ़र

ग़मों को तेरे अपना बनाना चाहता हूँ!

न तुमसे कुछ पाना चाहता हूँ

यूँ ही बस आज़मान चाहता हूँ!

तुमको पाने की तमन्ना तो है

पहले खुद को पाना चाहता हूँ!

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