तुम कोई प्यार भरी ग़ज़ल तो नहीं
न तुमसे कुछ पाना चाहता हूँ
यूँ ही बस आज़माना चाहता हूँ!
तुम कोई प्यार भरी ग़ज़ल तो नहीं
जाने क्यों गुनगुनाना चाहता हूँ!
न तुमसे कुछ पाना चाहता हूँ
यूँ ही बस आज़माना चाहता हूँ!
बिन तेरे कामिल नहीं ज़िन्दगी मेरी
संग तेरे इसका मुकम्मल ठिकाना चाहता हूँ!
न तुमसे कुछ पाना चाहता हूँ
यूँ ही बस आज़माना चाहता हूँ!
भटक रही है तन्हां रूह मेरी
तनहाइयाँ से रिश्ता मिटाना चाहता हूँ!
न तुमसे कुछ पाना चाहता हूँ
यूँ ही बस आज़मान चाहता हूँ!
होंगे हजारों तेरी खुशियों के हमसफ़र
ग़मों को तेरे अपना बनाना चाहता हूँ!
न तुमसे कुछ पाना चाहता हूँ
यूँ ही बस आज़मान चाहता हूँ!
तुमको पाने की तमन्ना तो है
पहले खुद को पाना चाहता हूँ!