तुम कैसे हिंदुस्तानी हो….
कभी धर्म नाम ,कभी जाती नाम…
कभी भगवा रंग ,तो कभी हरा रंग,कभी लाल रंग ,कभी पीला..
तुम कैसे हिन्दुस्तानी हो….
जो आपस में ही लड़ते हो।
शहीदों की बलिदानी भूल के…
सियाचिन पे खड़े सिपाही को भूल के …
हवा ,पानी में 24 घंटे खड़े सिपाही को भूल के…
जिन्होंने न जाती की परवाह की न धर्म की…..
तुम कैसे हिंदुस्तानी हो….
जो आपस में ही लड़ते हो।
सड़क पे खड़ी लड़की को गंदे शब्द बोलते हो….
मासूम सी नन्ही प्यारी बच्चियों का बलात्कार करते हो..
उस नारी को घर से बाहर निकाल देते हो जिसने तुम्हे जन्म दिया..
भूल जाते हो उस माँ के प्यार को, जिसने तुम्हे जन्म से पहले ही प्यार करना शुरू कर किया…
यार कैसे हिंदुस्तानी हो….
जो आपस में ही लड़ते हो।
??जै हिन्द जै भारत वन्दे मातरम ??
?प्रणाम?
ज्ञानेंद्र सिंह कुशवाहा?