तुम ऐसे उम्मीद किसी से, कभी नहीं किया करो
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तुम ऐसे उम्मीद किसी से, कभी नहीं किया करो।
ऐसे एतबार तुम किसी पर, कभी नहीं किया करो।।
तुम ऐसे उम्मीद किसी से————————–।।
जिसको चाहते हो इतना, मानकर उसको तुम अपना।
यकीन है तुमको जिसपे, क्या उसको है प्यार इतना।।
लेकिन दिल को ऐसे कुर्बान, कभी नहीं किया करो।
तुम ऐसे उम्मीद किसी से———————-।।
खूबसूरत ये चेहरें कभी, होते नहीं है इतने वफ़ा।
इनका नहीं है कोई ईमान, ये नहीं हैं दिल से सफ़ा।।
तुम ऐसे इजहार दिल का, कभी नहीं किया करो।
तुम ऐसे उम्मीद किसी से———————।।
सभी के सपनें मुकम्मल, कभी भी होते नहीं हैं।
मतलबी है लोग बहुत, सगे जो कभी होते नहीं है।।
तुम ऐसे दोस्ती सभी से, कभी नहीं किया करो।
तुम ऐसे उम्मीद किसी से———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)