तुम एक राह-ऐ-ग़ज़ल -सी.. मिली मुझको… !!
तुम एक राह-ऐ-ग़ज़ल सी मिली मुझको,
बनके हमदर्द मेरा हमसाया !
तुम्हारे नूर -ऐ -अदा का जवाब नहीं,
हरपल मुस्काये तुम्हारी काया !!
तुम्हारी ख्वाहिशों के चिल्मन मे,
कई ख़्वाबों के राज है !
ज़ब बात करो तुम दिल की,
लफ्ज़ो मे जैसे साज है !!
मेरे जज्बातों के कुछ एहसास,
तुम्हारी तारीफों की आवाज़ है !
साजिश से सराबोर हुनरो का,
तुम्हारा मन आफ़ताब है !!
तुम्हारी आँखों मे जज्बा है,
कई मुकम्मल ख्वाब है !
एक राह-ऐ -ग़ज़ल सी मिली मुझको,
बनके हमदर्द मेरा हमसाया… !!