*तुम उदास हो चेहरे पे फिर उजास है *
तुम उदास हो चेहरे पे फिर उजास है
ग़म छुपाते हो दिल ये फिर उदास है
कहते हो शायरी में ग़म कुछ खास है
ग़म को करे दूर मगर दूर जो ख़ास है
लगाये हुए हो आस, आस उदास है
कहते नही जुबा से जो प्यार खास है
देखो जो मेरी आंखों में चमक आज है
पता है रोशन नही चमकती-आंख है
नम आँखों में छुपी ग़म-नमी आज है
दोनों का ग़म एक मजबूरी संगसाथ है
तुम उदास हो चेहरे पे फिर उजास है
ग़म छुपाते हो दिल ये फिर उदास है।।
?मधुप बैरागी