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27 Dec 2021 · 1 min read

तुम इस तरह आना कि..

तुम इस तरह आना कि
न सुन पाए तुम्हारे
कदमों की व्याकुल आहट..
मेरे मन की दहलीज!
चुपचाप चले आना तुम!
अपने मिलन की चाॅंदनी लेकर
विलग कर देना !
कटु अतीत को और
चिंतातुर भविष्य को..
भावों में चाशनी भरकर
तुम इस तरह आना
कि छुप पाऊं मैं ..
तुम्हारे सपनों के
पाकीज़ा एहसासों में
और पाती रहूॅं ज़िंदगी
सिमट कर ..
तुम्हारे आलिंगन के आभासों में!

स्वरचित
रश्मि लहर

Language: Hindi
389 Views

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