तुम आ जाओ
कब होंगे मन के खेत हरे,
कैसे अब विरह के घाव भरे,
कब सुनाई देंगे खुशियों के गीत ,
कब मिलेगा मेरा प्यारा मीत,
कितने ही गुजर गए बसंत,
कब आएगा वह मेरा संत,
कब तक यूं ही देखूंगी राह,
मन में बसी उसकी ही चाह,
जीवन बड़ा है बड़ी है उसकी चाहत ,
हर पल उसकी याद करती है आहत,
मेघ का गरजना दामिनी का दमकना,
मेरी इन आंखों का बरसो से बरसना,
सावन भी आकर चला गया ,
धरा ने ओढ़ ली नई चुनरिया ,
मेरे मीत आ जाओ तुम एक बार,
खुशियां करूंगी न्योछावर बार बार,
।।।जेपीएल।।।