तुम आ जाओ तो क्या कहना
बारिश के इस मौसम में तुम आ जाओ तो क्या कहना
ठंड़ी ठंडीं पवन में तुम्हारी बाहों में मुझ को बहना
हर कविता में तुम्हें बुलाऊं
प्रेम का पथ मैं तुम्हे सुझाऊं
मुझ को जी भर प्यार करो हर बार मुझे है ये कहना
ठंडी ठंड़ी पवन में तुम्हारी बाहों में मुझ को बहना
दूर,- दूर से तुम्हे निहारूं
दिल ही दिल में तुम्हे पुकारूं
प्रेम किया है तुम से कृष्णा
मुझे दुख विरहा का सहना
बारिश के इस मौसम में तुम आ जाओ तो क्या कहना
ठंड़ी ठंडीं पवन में तुम्हारी बाहों में मुझ को बहना