तुम आवाज तो दो
तुम आवाज तो दो, वो दौड़ती आएगी,
संग अपने अपनों की मंडली लाएगी।
तुम आवाज तो…
चल देती है उधर अपना संग किये,
निश्चयी जीवन जाते हैं, जिधर अपना रुख किये।
इसके आते ही ऐश्वर्य-निधि खुद-ब-खुद आएगी,
साथ बहारें खुशियों की जीवन सतरंगी बनायेंगी ।
जीतना ही जिंदगी है मानते हैं सब यहां,
हारना भी एक हंसी है जानते हैं सब कहां
पर हार में छिपी है जिसके आशा-पुंज जो,
यही वो किरण है जो लक्ष्य दर्शन कराएगी।
आज जीत है तो कल हर निश्चित है यहां,
आज जो जीता है, कल उसका रुख जीत के संग होगा
हार से जो तड़पा, न सीख पाया वो कभी कुछ,
हार से हुए अनुभव की बोधि मंजिल पास बुलाएगी।।
हर वक्त, हर घड़ी, न रहता किसी का एक-सा,
बदलती है सूरत, वक्त पर सीरत भी बदलती है
लोग कहते हैं, कौवे, कूड़ेदान, फ़क़ीर का भी दिन आता है,
हम तो फिर भी मनुज हैं, हद से गुजर जाएंगे,
तब देखते हैं, फिर कैसे न आँचल में ये हमारे आएगी।।