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21 Nov 2017 · 1 min read

तुम अब जलाते बहुत हो

तुम अब जलाते बहुत हो
पास आकर सताते बहुत हो

दिल तो जोड़ा नही तुमने कभी
लेकिन दिल तोड़ जाते बहुत हो

दिल है नदां मेरा बेचारा
इस पर सितम ढाते बहुत हो

नही है बसेरा मेरा तुम्हारे दिल में
आज भी मुझे याद आते बहुत हो

सूखा था कल तक जो बादल
आज तुम उसमे पानी लाते बहुत हो

ख्वाबों में भी बसेरा है तुम्हारा
अब बन्द आँखों में भी आते बहुत हो

हर अक्स में तेरी ही सूरत दिखती है
अब तुम मुझे छल के जाती बहुत हो

कदम नही है अब वश में मेरे
अब अपनी कश्ती में सैर कराती बहुत हो

मनाने में हम आज भी कच्चे ही है
तुम अब रूठ कर जाती बहुत हो

फ़िदा हूँ तेरी हर अदा में आज भी
अब तुम भूपेंद्र से नज़र चुराती बहुत हो

भूपेंद्र रावत
12।09।2017

1 Like · 1 Comment · 471 Views
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