तुम अब जलाते बहुत हो
तुम अब जलाते बहुत हो
पास आकर सताते बहुत हो
दिल तो जोड़ा नही तुमने कभी
लेकिन दिल तोड़ जाते बहुत हो
दिल है नदां मेरा बेचारा
इस पर सितम ढाते बहुत हो
नही है बसेरा मेरा तुम्हारे दिल में
आज भी मुझे याद आते बहुत हो
सूखा था कल तक जो बादल
आज तुम उसमे पानी लाते बहुत हो
ख्वाबों में भी बसेरा है तुम्हारा
अब बन्द आँखों में भी आते बहुत हो
हर अक्स में तेरी ही सूरत दिखती है
अब तुम मुझे छल के जाती बहुत हो
कदम नही है अब वश में मेरे
अब अपनी कश्ती में सैर कराती बहुत हो
मनाने में हम आज भी कच्चे ही है
तुम अब रूठ कर जाती बहुत हो
फ़िदा हूँ तेरी हर अदा में आज भी
अब तुम भूपेंद्र से नज़र चुराती बहुत हो
भूपेंद्र रावत
12।09।2017