तुम अगर होते पथिक..…..
तुम अगर होते पथिक मैं राह बन बिछती प्रिये,
चुन के सारे कंटकों को निज हृदय रखती प्रिये।
तोड़ देती बंधनो को,राह जो रोके खड़े हैं।
चूम लेती अश्रु-कण जो नयन में व्याकुल अड़े हैं
तुम अगर होते नयन,मैं नीर बन सजती प्रिये।
चुन के सारे कंटकों को निज हृदय रखती प्रिये।।
हो दिवा या रात साथी,साथ देती मुस्कुराकर।
उलझने लेती चुरा,मैं रखती अंचल में छुपाकर।
दीप तुम होते अगर, मैं ज्योति बन जलती प्रिये।
चुन के सारे कंटकों को, निज हृदय रखती प्रिये।
तुम अगर होते पथिक ……….।
जो तुम्हारा साथ होता,हर दिवस मधुमास होता।
घिर के बादल सी बरसती,मीत तू गर पास होता।
तुम अगर होते तरु,मैं सारिका बनती प्रिये,
चुन के सारी कंटकों को निज हृदय रखती प्रिये।।
तुम अगर होते पथिक……..।
आरती