तुम्हें लड़ने का अधिकार नहीं
खुद आप हैं बैठे महलों में माता घुमे सड़कों पर
जो माँ का दूध लजाते हैं धिक्कार ऐसे लड़कों पर
गौ सेवा के नाम पे जो आडम्बर फैलाते हैं
खुद उनके ही आँगन से गोवंश निकाले जाते हैं
सड़कों पर वो झुण्ड बनाकर दुर्घटना के कारक हैं
कूड़ा कचरा खाकर वो खुद अपने ही संहारक हैं
आपस में ही लड़ते हैं जनता को दुख पहुँचाते हैं
कभी किसी वाहन से लड़कर अपने पाँव तुड़ाते हैं
आवाज़ लगाता हूँ उनको जो काट रहे इंसानों को
गोरक्षा का संकल्प लिए गऊ माता की संतानों को
मात्र एक गोवंश को तुम अपनाकर जरा दिखाओ तो
बस छुट्टा घूम रहा इक बछड़ा अपने घर ले जाओ तो
कर न सके जो ऐसा तो तुम मानो कि अतिवादी हो
गो हत्या के पाप के तुम भी उतने ही अपराधी हो
गोवंश खुला क्यों छोड़ते हो क्या गौमाता से प्यार नहीं
जब तक जुर्म ये करते हो तुम्हें लड़ने का अधिकार नहीं