तुम्हें पाना मंज़िल अगर है
सूना डगर है , लम्बा सफर है
चल राही तुझे किसका डर है
छोड़ दुनिया की मोह -माया
तुम्हें पाना मंज़िल अगर है
चलते रह चलते रह थकना नहीं तू
कुछ ही दूर में सपनों का शहर है
न समझना अकेला खुद को जहां में
सदा माता -पिता के दुआ साथ है
ज़िन्दगी है रणभूमि संघर्ष करना है
जीत होगा मेहनत तुम्हें करना है
तू आज़ाद पंछी नहीं किसी का बंधन
मन में अचल साहस अनवरत बढ़ना है
आयेगी तूफाँ ,न घबराना कभी तू
साहस के आगे क्या कोई टिक सका है
कुछ करके दिखाना है आगे बढ़ना है
मौका मिला है अब पीछे नहीं मुड़ना है
एक नयी इतिहास फिर से लिखना है
ये जहां में अपना नाम अमर करना है
तू सूरज भी है और चाँद भी है
जहां को रौशन तुम्हें करना है
दुष्यंत कुमार पटेल “चित्रांश”