तुम्हें पहचान नही है!
तुम्हें पहचान नही है, तुम्हें पहचान नही है।
कर्म करते हों, कर्म करते हों पर ईमान नहीं है।-
तुम्हें पहचान नही है-२
हंसते तो बहुत हो,पर! मधुर मुस्कान नही है।–तुम्हे पहचान नही है-तुम्हे पहचान नही है।
जीवन में ठगों से ठगाता चलता है।
गाड़ी अमीरों की पर!गरीब चलाता है।
मानव धर्म का ज्ञान नहीं है।
तुम्हें पहचान नही है–तुम्हे पहचान नही है।
बातें तो तू बड़ी बड़ी करता है,बस!टाइम पास किया करता है।
तुम हर सच्चाई से डरते हो, फिर कैसे इंसान नही है।
तुम्हें पहचान नही है–तुम्हे पहचान नही है।