तुम्हें निभाना नहीं आया
तुम्हें निभाना नहीं आया
मुझे भुलाना नहीं आता
फ़ासले बढ़ते रहे
तुम्हें घटाना नहीं आता
मुझे दूरियाँ बढ़ाना नहीं आता
मजबूर हैं
हम अपनी अपनी फ़ितरत से
तुम्हें मोहब्बत रास नहीं आती
मुझे नफ़रत करना नहीं आया
हिमांशु Kulshrestha