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13 Aug 2017 · 1 min read

तुम्हें देखे हमको ज़माना हुआ है

ग़ज़ल
———-
वो दर पे नबी के जो आया हुआ है
ग़मों का उसी के सफाया हुआ है
?????????
किसानों की मेहनतकशी है ये प्यारे
पसीना जो चेहरे पे आया हुआ है—-गिरह
?????????
बड़ी होके बेटी तो होगी पराई
जिसे बाजुओं में झुलाया हुआ है
???????????*
सनम मान जाओ या हमको बता दो
सबब क्या है जो मुँह फुलाया हुआ है
?????????
मेरे चाँद अब तो निकल आओ बाहर
तुम्हें देखे हमको ज़माना हुआ है
??????????
मेरी मौत ही आखिरी है दवा जब
के अब दर्दे दिल जो पुराना हुआ है
??????????
नहीं झुकने देंगे तिरंगे को हम जो
लहू बन के रग़ में समाया हुआ है
?????????
नहीं जुल्म हमपे करो और “प्रीतम”
ये दिल पहले से ही सताया हुआ है
??????????
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
12/08/2017
????????????????

205 Views
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