तुम्हें छू के आती हैं जब जब हवाएं।
गज़ल
122…….122……..122…….122
तुम्हें छू के आती हैं जब जब हवाएं।
मेरे दिल को मदहोश कर कर के जाएं।
बिखर जाती है गंध सी जाफरानी,
महकती हैं खुशबू से सारी दिशाएं।
नहीं कोई आशीष उनसे बड़ा है,
पिता मां से मिलती जो हमको दुआएं।
अगर हम हैं इंसां तो जिम्मा हमारा,
कभी तो दुखी दीन के काम आएं।
नये वादे लेकर जो आए हैं फिर से,
किया था जो पहले वो वादा निभाएं।
सभी साथ मिलकर करें एक कोशिश,
हँसें हम सभी गैर भी मुस्कुराएं।
करो प्रेम दुनियां को बन जाओ प्रेमी,
सदा प्रेम सरिता में डुबकी लगाएं।
…….✍️ प्रेमी