तुम्हें कुछ-कुछ सुनाई दे रहा है।
तुम्हें कुछ-कुछ सुनाई दे रहा है।
मुझे सब कुछ दिखाई दे रहा है।।
यक़ीनन झूठ की बुनियाद पर है।
बिना मांगे सफ़ाई दे रहा है।।
■प्रणय प्रभात■
तुम्हें कुछ-कुछ सुनाई दे रहा है।
मुझे सब कुछ दिखाई दे रहा है।।
यक़ीनन झूठ की बुनियाद पर है।
बिना मांगे सफ़ाई दे रहा है।।
■प्रणय प्रभात■