“तुम्हें आना होगा”
क्यों आऊं मैं तुमसे मिलने
क्यों
तुम्हें आना होगा,
तुम्हें आना होगा लौटने मेरी वो पहचान जो जाते-जाते तुम छीन गई,
तुम्हें आना होगा लौटने मेरे वो ख्वाब जो तुम अपने क़दमों तले रोंद गई,
तुम्हें आना होगा लौटने कभी ना पुरे होने वाले वो झूठे वादे जो तुम तोड़ गई,
तुम्हें आना होगा लौटने मेरी वो मुस्कुराहट जो तुम अपने साथ ले गई,
तुम्हें आना होगा मेरे साथ हसने उस बात पे जो तुम मेरा हाथ थाम कहती थी मैं तुम्हारी हूँ,
तुम्हें आना होगा लौटाने मेरी वर्दी की वो स्वेटर जिसको ओढ़ तुम गर्व से सबको दिखाती थी उसमें लिखा मेरा नाम,
तुम्हें आना होगा वो शादी का जोड़ा जिसे पहन तुम मेरे लिए दुल्हन बन सवारने वाली थी,
सुनो रक्खी है सँभाल मैंने तुम्हारी वो हूड़ी, वो पेन डायरी उसमें लिखी तुम्हारे लिए कविताएं, और सँभाल राखी है तुम्हारी अनगिनत यादें तुम आओ तो उनको लेते जाना,
मेरा एक हिस्सा मेरा दिल जो रह गया है तुम्हारे पास उसको लौटाने तुम्हें आना होगा,
“लोहित टम्टा”