तुम्हें अब लाज कैसी है
छिपाया था जिसे अब तक,मुहब्बत आज कैसी है।
कभी थे सख्त इतने तुम, मधुर आवाज कैसी है।
लिया जो मान अपना ही, निकलकर सामने आओ-
कहो अपना मुझे खुलकर, तुम्हें अब लाज कैसी है।
छिपाया था जिसे अब तक,मुहब्बत आज कैसी है।
कभी थे सख्त इतने तुम, मधुर आवाज कैसी है।
लिया जो मान अपना ही, निकलकर सामने आओ-
कहो अपना मुझे खुलकर, तुम्हें अब लाज कैसी है।