तुम्हार क्यों नहीं हो पाया मैं
वही वक्त मेरा था,
जब मैं तुम्हारा था,
क्यों तुमसे दूर हुआ,
इतना क्यों मजबूर हुआ,
तुमसे कह पाता कुछ,
इससे पहले की कर पाता कुछ,
अपने ही फैसलों में उलझ गया,
नासमझ मैं क्यों ऐसा कर गया,
क्यों नहीं समझ पाया तुम्हे,
क्यों दूर तुमसे होता गया,
और वक्त के बहकावे में,
दिन रात मैं आता गया,
तुम्हें क्यों नहीं समझ पाया,
तुम्हारा क्यों नहीं हो पाया,
इस बात का मलाल रहेगा,
खुद से ताउम्र ये सवाल रहेगा।
जब वक्त मेरा था,
और मैं तुम्हारा…तुम्हार क्यों नहीं हो पाया…!
तुम्हारा