तुम्हारे संग प्रिये
प्रेम के इस पावन नगरी में
जबसे बिखरा तुम्हारा रंग प्रिये
लगने लगा मनभावन सारा
जग और मुझमें उमंग प्रिये
हर पल रहती यही लालसा
रहूँ तुम्हारे संग प्रिये
अंजन भरे हैं नैन तुम्हारे
मोहक दृश्य का अंग प्रिये
देख लालिमा अधरों की तुम्हारे
उठता मन में तरंग प्रिये
हर पल रहती यही लालसा
रहूँ तुम्हारे संग प्रिये
ओढ माधुर्य सोलह शृंगारों की
बनूँ तुम्हारा अंतःअंग प्रिये
डूबकर प्रणय सागर में
बन जाऊं नवरंग प्रिये
हर पल रहती यही लालसा
रहूँ तुम्हारे संग प्रिये