तुम्हारे लौट जाने के बाद
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तुम्हारे लौट जाने के बाद
झकझोरा किसी ने मुझे
थोड़ी चेतना आई तो देखा
चारों ओर पसरा सन्नाटा ।
जैसे घर खाली हो जाने पर
करनी ही पड़ती है हर सुदामा को यात्रा
मेरा संसार शून्य हो जाने पर
पीछे मुड़ी समय चक्र में
अपनी अन्तर्यात्रा की ओर
जीवन के अब तक जिए गए
अध्यायों की जिल्द बिखरी पड़ी थी
समेटे एक-एक पन्ने
जिनमें किसी में दुःख
तो कहीं सुख लिखा था
बस एक बात समझ आ गई
उनमें से कोई सुख दुःख
मेरा आज नहीं भर पाया
फिर क्या अस्तित्व इनका
और क्यों परेशान होना ?