” तुम्हारे मुस्कराने का ————— “
तुम्हारे मुस्कराने का ,
अर्थ बड़ा गहरा है !
ये इशारा है ,
शरारत या ,
अंदर की अभिव्यक्ति!
ये खनकती हंसी है ,
या दुनिया को –
दिखाने की चहक ,
मोतीयों सी धवल पंक्ति !
मैं यों ही ,
उलझ जाता हूँ ,
तुम्हें देख !
मुझे लगता है ,
रिझाने को ,
खींचती हो –
कोई रेख !
तुम्हें जानना कठिन बड़ा
भावनाओं का पहरा है !!
कितनी जल्दी ,
सिमट जाती हो ,
तुम अपने आप में !
जैसे तेज धूप भी ,
कभी खो जाती है ,
गहरी छांव में !
कभी बिखरी सी ,
महकती खुशबू सी ,
यहां वहां तुम्हें पाता हूँ !
झिंझोड़कर रख देता हूँ
अपने आप को ,
पर तुम्हें जान नहीं पाता हूँ !
ये हंसी सच्ची , या अच्छी ?
अर्थ बड़ा गहरा है !!
तुम्हारा स्नेह ,
अन्तस् की गहराई में डूबा ,
या उथला है !
तुम्हारा साथ ,
अंधेरों से दूर कभी लगे ,
उजला है !
तुम्हारी सोच ,
कभी भाती है कभी ,
दूर खड़ी मुस्कराती है !
तुम्हारा सहयोग ,
दूर किसी मुकाम तक ,
पहुंचाता है !
कभी किसी बेरंग लिफाफे सा ,
दिल के और करीब ,
लाता है !
तुम्हारा दमकता हुआ रूप ,
सच में रूपहरा है !!
बृज व्यास