तुम्हारे माता-पिता
तुम्हारी नादानियों में,असावधानियों में,
तुम्हारी छोटी-छोटी शरारतों में
तुम्हारे दोस्त अवश्य साथ दे सकते है
तुम्हारे भाई-बहन भी साथ आ सकते है
किन्तु तुम्हारे माता-पिता,अभिभावक
तुम्हारे साथ नहीं आ पाते।
बल्कि बार बार रोकते है,टोकते है।
तुम्हें लगता तुम्हें वो समझते नहीं
चाहतों का तुम्हारी मान रखते नहीं।
किन्तु ये बस तुम्हारे है मन का वहम
तुमसे ज्यादा तुम्हें हैं वो पहचानते
अपना सर्वस्व तुम पर ही तो वारते।
हर समय वो है तत्पर तुम्हारे हितार्थ
हर निर्णय पर न साथ होंगे यथार्थ |
दौर से वो तुम्हारे भी वाकिफ़ हुए है
कीमतें हर गुजर की भी परखे हुए हैं ।
हरगिज वो तुम्हें वहां जाने न देंगे
दांव पर सब तुम्हारा जहाँ भेंट हो
या सम्भावित मन को असह्य चोट हो ।
भले ही तुम नाराज उनसे रहो
याकि अन्य आरोप उन पर गढ़ो
वो सब सहर्ष ही स्वीकार लेंगे ।
वो माँ बाप है धरती पर ईश रूप
बस आशीष, प्रेम व परवाह देंगे ।