तुम्हारे बिन
तुम्हीं से होंठ पर शबनम, तुम्हीं से नैन में शतदल ।
तुम्हीं से केश में थिरकन,तुम्हीं से कण्ठ में कलकल ।
निरी मिट्टी तुम्हारे बिन, सजन यह देह कंचन-सी-
तुम्हीं से प्राण में गुंजन, तुम्ही से देह में हलचल ।
अशोक दीप
जयपुर
तुम्हीं से होंठ पर शबनम, तुम्हीं से नैन में शतदल ।
तुम्हीं से केश में थिरकन,तुम्हीं से कण्ठ में कलकल ।
निरी मिट्टी तुम्हारे बिन, सजन यह देह कंचन-सी-
तुम्हीं से प्राण में गुंजन, तुम्ही से देह में हलचल ।
अशोक दीप
जयपुर