तुम्हारे बिन मै अब जी नही सकती
तुम्हारे बिन मै जी नही सकती
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तुम्हारे बिन मै जी नही सकती,
तुम्हारे बिन मै रह नही सकती।
जी नहीं सकती मै तुम्हारे बैगैर,
आ जाओ तुम अब मेरे शहर।
काट रही हूं मै दिन गिन गिन के,
कटती नहीं ये राते तुम बिन के।
तड़फाओ न मुझे मेरे प्रिय पिया,
नही लगता है तुम्हारे बिन जिया।
कैसे समझाऊं दिल और मन को,
आग लग रही तुम बिन इस तन को।
विरह वेदना की ज्वाला दहक रही है,
सांसों में मेरी तेरी सांसे महक रही है।
तड़फ तड़फ कर कही मै मर न जाऊं,
ये दुखड़ा मै अब किसको सुनाने जाऊं।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम