तुम्हारे नाम से शिनाख्त है
** तुम्हारे नाम से मेरी शिनाख्त है **
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तुम जो मिले हो, खुदा की इनायत है,
जिन्दगी भर की तुम,मेरी इबादत है।
तुम्हारे वास्ते आँहें भरते आए,
तुम्हें भूल जाना प्रेम की खिलाफत हैं।
करवटें बदल बदल रातें गुजारी हैं,
तेरे लिए अपनों से की बगावत है।
इम्तिहान मोहब्बत के काँटों भरे,
कभी कहीं मिलती नहीं हिफाजत है।
दो शब्द सुन लूं मैं तेरे प्यार भरे,
मेरे लिए तुम से यही खुशामत है।
मनसीरत मन मे सागर सा समाया,
तुम्हारे नाम से मेरी शिनाख्त है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)